परमेश्वर लोगों से कैसे बात करते हैं ? (How does God talk to people?) Hindi Article..


परमेश्वर लोगों से कैसे बात करते हैं ?

    हम अक्सर सुनते हैं कि यदि हम प्रभु से बात करना चाहते हैं, तो हमें प्रार्थना करनी चाहिए। लेकिन हम कैसे जाने की प्रभुने क्या बोलना चाहता है, परमेश्वर की क्या इच्छा है। हम चाहते हैं कि प्रभु हमसे बात करे..लेकिन कैसे .... 

यूहन्ना : 10: 3,4 यह लिखा है कि भेड़ अपने चरवाहे की आवाज को पहचानती हैं ...

इसलिए आज हम समझेंगे कि प्रभु हमसे कैसे बात करते हैं। में कुछ बातों को कहना चाहता हु की जिसके जरिये परमेश्वर हमसे बात करता है। 

1. अपने वचनों के द्वारा :-

    2 तीमुथियुस 3:16 के अनुसार संपूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धार्मिकता की शिक्षा के लिए लाभदायक है। 

    पौलुस कहता है, की वचन (पवित्रशास्त्र) प्रभु की ओर से है, और वचन हमे सुधारने, समझाने.. मे लाभदायक है। जब भी हम कोई वचन पढ़ते है, तो प्रभु हमसे बात करता है, और हमे शिखाता, और समझाते है, की हमे क्या करना चाहिए। सायद आपको भी कोई एसा अनुभव हुवा होगा की हम जब बाइबल मे से वचन पढ़ते है, तो लगता है की परमेश्वर मुझसे कुछ बता रहा है। या फिर कोई काम के समय पर उस वचन हमसे बात करता है। लेकिन .. हम वचन कैसे पढ़ते हैं उस पर ध्यान देना जरूरी है, क्या हर दिन, क्या सप्ताह में एक बार, क्या महीने में एक बार, या अगर हमें समय मिलता तब। जैसा बाइबल शिखाती है, हमें प्रतिदिन वचन पढ़ना चाहिए। यदि हम प्रतिदिन वचन पढ़ते हैं, तो हम अनुभव करेंगे कि  वचन के द्वारा परमेश्वर हमसे बात करता है। तो इसी तरह से प्रभु हमसे वचन के द्वारा बात करता हैं।

2. पवित्र आत्मा के द्वारा :- 

    यूहन्ना: 14:15-26 के अनुसार येशु मसीह केहता है की, में तुम्हें एक सहायक, (संबोधक), (सत्य का आत्मा), (पवित्र आत्मा) भेजूँगा, जो तुम्हें सब बाते शिखाएगा, परमेश्वर की बातों को स्मरण कराएगा। 

    और हमे परमेश्वरने हमे पवित्र आत्मा दिया है, जो आज हमारे साथ है। हमे आत्मिक जीवन मे अगुवाई करता है, येशु की शिक्षा को स्मरण कराता है। और परमेश्वर इस पवित्र आत्मा के जरिये हमसे बात करता है। जब हम कोई मुसीबतों मे होते है, या आत्मिक जीवन मे चिंतित होते है, तब हमे पवित्र आत्मा संभालता है। 

कैसे जाने की पवित्र आत्मा हमसे बात कर रहा है ? 

    तुमने कभी ऐसा अनुभव किया होगा, कभी-कभी कोई हमसे विचारों के द्वारा बात करता है, समझाता है, विचार हमारे दिमाग में आते हैं, अगर हम पाप करते है, कुछ गलत करते है, तो हममे इसे विचार आते है की ऐसा नही करना चाहिए, या झगड़ा हो गया हो तो, उसे माफ करना चाहिए। तो इसी तरह से परमेश्वर पवित्र आत्मा के जरिये बात करता है। 

3. लोगों के द्वारा :- 

    कभी-कभी हमारे चर्च या समाज मे कोई ऐसे व्यक्ति होते है, की जो हमे हमारे जीवन के बारे मे बताते है, शिखाते है। या कई बार भविष्यवाणी के द्वारा ये लोग हमें सूचित करते हैं। जैसा कि हम बाइबल में देखते हैं कि प्रभु नबियों से बात करता था और नबियों वो परमेश्वर की बात लोगों तक पहुंचाते थे। जेसे की, मूसा, एलिय्याह, यशायाह, यिर्मयाह, यूना.. आदि

    परमेश्वर एसे सेवकों, आगेवानों, विश्वासियों का भी उपयोग करता है। माता-पिता द्वारा, दोस्तों द्वारा..भी परमेश्वर हमसे बात करता है। लेकिन इसमें हमें यह जांचना होगा कि क्या सही मे ये बात परमेश्वर के ओर से है। जो कोई हमे गलत रास्ता दिखाए वो परमेश्वर की ओर से नहीं हो शकता, तो हमे इसमे परख करना है। पर परमेश्वर हमसे लोगों के द्वारा भी बात करता है। 

4. स्वप्न या दर्शन के द्वारा :- 

    परमेश्वर चाहे तो हमसे स्वप्नं के द्वारा या हमे दर्शन देकर भी बात कर शकता है। इसके बारे में बाइबल में कई उदाहरण हैं .. जैसे अब्राहम, जोसेफ, शेमुअल, जोसेफ जो येशु के सांसारिक पिता थे उनको, पतरस, पॉल..आदि।  तो परमेश्वर स्वप्न या दर्शन के द्वारा हमसे बात करता है। 

    हो ​​सकता है कि हम में से किसी को इस तरह की दृष्टि दी हो। पर जरूरी नहीं है की हमे ऐसे स्वप्न आएंगे ही। जेसे विज्ञान बताती है की, हम जो भी दिन भर सोचते है, या करते है, उन्ही से संबंधित स्वप्न भी हमे आते है, तो ये भी हमे परखना है। पर परमेश्वर हमसे स्वप्न के द्वारा या दर्शन देकर भी बात करता है। 

5. हमारी परिस्थिति (हालात) द्वारा 

    परमेश्वर हमारी परिस्थिति के द्वारा, जो हमारी हालात है उसके द्वारा भी हमसे बात करता है। भजन संहिता 119: 67, 71 के अनुसार ये भजन लिखने वाला केहता है की, मुझे जो दु:ख हुवा वो मेरे भले के लिए हुवा।   

    आपने देखा होगा कि कुछ लोग कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें वह नहीं मिलता जो वे चाहते हैं ... यह एक संकेत हो सकता है, परमेश्वर यह कहना चाहते हैं, की सायद उन पर परमेश्वर का अनुग्रह नहीं है। क्योंकि जिस पर भी परमेश्वर का अनुग्रह होता है वो हमेशा सब कार्यों मे सफल होता है। 

    इसलिए हमें अपने जीवन में जाँचना होगा कि क्या प्रभु मुझे इस परिस्थिति से कुछ ठीक करने के लिए कहते हैं। हो शकता है की इस परिस्थिति का कारण हमारे कुछ पाप हो, जिसे परमेश्वर छोड़ने के लिए कहते हो। कभी-कभी परमेश्वर हमें कमजोर या निसहाय बना देता है, की जो हमारे मे घमंड हो वो टूट जाए। तो परमेश्वर हमारी परिस्थिति के द्वाराहमसे बात करता है। 

6. सृष्टि के द्वारा 

    जब हम बाहर देखते हैं तो हम देखते हैं कि यह सृष्टि कितनी महान है और इसे बनाने वाला परमेश्वर कितना महान हैं, फिर भी प्रभु हमसे प्रेम करता है, हमें चुनता है। तो परमेश्वर हमसे इस सृष्टि के द्वारा भी बात करता है। 

भजन संहिता 19 : 1 मे दाऊद केहता है की, आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है, और आकाशमंडल उसकी हस्तकला को प्रगट करता है।

    परमेश्वरने इस सृष्टि मे की जीव-जन्तु, पशु-पक्षी बनाए है, और परमेश्वर चाहे तो इस सृष्टि के जरिये भी बात करता है। हम बाइबिल में देखते है की, परमेश्वरने बिलाम से बात करने के लिए उसके गदही का इस्तेमाल किया (गिनती 22), परमेश्वरने एलियाह को रोटी देने के लिए एक कौवे का इस्तेमाल किया, परमेश्वरने योना को समझाने के लिए मछली का इस्तेमाल किया, और योना के घमंड को तोड़ने के लिए एक कीडे का इस्तेमाल किया। इसलिए प्रभु ने ऐसी रचना का उपयोग किया है जो हमसे बात करती है। तो परमेश्वर हमसे इस सृष्टि के जरिए बात करते है। 

    बस इतने मे ही सीमित मत रखना, परमेश्वर चाहे तो किसी भी तरह से हमसे बात कर शकता है, हमें हमेशा शमूएल की तरह तैयार रहना चाहिए।

Amen 

Thank you

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